Holi 2022:- होली का त्यौहार हम सभी देशवासी बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं इस त्यौहार के आगमन से सभी के चेहरे पर खुशियां बिखर जाती है हां देशवासियों के चेहरे पर होली की खुशियां साफ झलकने लगती है कि हम लोग होली के त्यौहार के लिए कितने खुश हैं।
रंगों का त्योहार होली प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है होली 2021 (Holi 2020 & Holi 2021) में हमने मनाया और फिर अगले वर्ष 2022 में Holi फिर से मनाएंगे। लेकिन 2022 में होली किस तारीख को है (2022 Me Holi Kab Hai).
इससे हम नहीं जानते इस पोस्ट के माध्यम से हम जानेंगे कि होली 2022 में किस तारीख को है
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2022 में होली कब है- Holi 2022

होली का त्यौहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, लेकिन इसे भारत के कुछ क्षेत्रों में अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाता है।
भारतीयों का सबसे पसंदीदा त्योहारों में से एक होली 2022 में 17 मार्च को है।
Year | Holi Kab Hai |
2022 Me Holi Kab Hai | Saturday, 17 मार्च 2022 |
2023 Me Holi Kab Hai | Wednesday, 8 March |
2024 Me Holi Kab Hai, Holi in 2024 | Monday, 25 March |
2025 Me Holi Kab Hai | Friday, 14 March |
2026 Me Holi Kab Hai | Mar 3 |
होली मनाने के पीछे का इतिहास
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार,
प्राचीन काल में हिरणकश्यप नाम का एक राजा सम्पूर्ण भारत पर राज करता था।
उसने घोर तपस्या करके भगवान ब्रह्मा जी से एक वरदान मांगता है की उसे ना तो इंसान नहीं जानवर ना किसी शास्त्र से न किसी औजार से ना दिन में ना रात में ना तो आकाश में ना धरती पर उसे किसी भी तरह से मारा न जा सके।
ऐसा वरदान पाकर वह अपने आप को भगवान मानने लगता है तथा अपनी पूजा करने के लिए पूरी राजपाट में आदेश दिया जाता है सभी लोग मृत्यु के डर से हिरणकश्यप की पूजा करने लगते हैं। लेकिन हिरणकश्यप का पुत्र प्रहलाद पूजा ना करके भगवान विष्णु की पूजा करता है अपने घरों में भगवान विष्णु की पूजा होते देख कश्यप को बहुत क्रोध आता है। वह प्रहलाद को विष्णु की पूजा ना करने की सलाह देता है प्रह्लाद फिर भी विष्णु की पूजा करता है जिससे उसको और क्रोध आ जाता है और वह प्रह्लाद को कई तरह से दंडित करता है।
कठोर से कठोर दंड देने के बावजूद भी प्रह्लाद भगवान विष्णु की पूजा करना नहीं छोड़ते हैं। दिन प्रतिदिन भक्त प्रहलाद की भगवान विष्णु के प्रति भक्ति बढ़ती जाती है। अंत में कश्यप लाचार होकर अपने पुत्र प्रह्लाद को जान से मारने की कोशिश करता है कई प्रकार से मृत्यु दंड देने के बावजूद भी प्रह्लाद की मृत्यु नहीं होती है।
भक्त प्रह्लाद को उसके पिता तथा उसकी बुआ होलीका मारने के लिए एक षड्यंत्र रचाता है।
जिसमें होलिका ने भक्त प्रह्लाद को अपनी गोद में बिठाकर आग में बैठ गई।
होलिका को यह वरदान था कि वह आग में नहीं जलेगी लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से होली का उस आग में जलकर नष्ट हो गयी। तथा विष्णु भक्त प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ।
होली की बुराइयां
वैसे तो होली खुशियों का त्योहार है होली मनाने से एक दूसरे के प्रति प्रेम व्यवहार करता है.
होली के दिन सभी लोग अपने दुखो भुलाकर होली खेलते है।
जहां होली मनाने के फायदे है वही होली मनाने के कुछ बुराइयां भी है क्योंकि इस दिन लोग कुछ बुरे काम करते हैं। जैसे शराब पीना, मादक पदार्थो का सेवन आदि।
जिससे वह नशे में आकर एक दूसरे से लड़ाई-झगड़ा करते है।
समाज के कुछ ऐसे ही लोग इस त्यौहार को बदनाम करते हैं
लोग होली के दिन शराब के नशे में होली का त्यौहार मनाते हैं तथा आपस में लड़ाई करते रहते है जिससे असंतोष फैलता है।
समाज के ऐसे कुछ लोग होली के त्यौहार को गंदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं..
लेकिन उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि यह त्योहार तो खुशियों के आगमन का प्रतीत हैं। इसलिए मेरी आप सभी से निवेदन है की इस दिन लड़ाई झगड़ा न करें।
होली के दिन की गतिविधियां
होली से 1 दिन पहले होलिका दहन होता है होलिका जलाने का मतलब लोग बुराइयो को जलाकर नष्ट करते हैं।
जिस प्रकार हिरणकश्यप की बहन होलिका का दहन हुआ था।
उसकी अगली सुबह होली का उत्सव मनाया जाता है इस दिन की शुरुआत होते ही लोग रंग लेकर एक-दूसरे के साथ होली (Holi 2022) खेलने लगते हैं। जो इस त्यौहार को खास बनाता है।
इस दिन लोगों को प्रेम भाव से एक दूसरे को रंग लगाना और गले मिलना बिना किसी द्वेष-भाव के बहुत ही अच्छा लगता हैं।
प्राचीन काल से मान्यता है कि इस दिन लोग भांग पीकर होली मनाते हैं।
और ऐसा ग्रामीण तथा शहरी इलाकों में देखने को मिलता है।
पकवान बनाए जाते हैं
इस दिन घर में अलग-अलग पकवान बनाए जाते हैं अगर हम इस दिन की सबसे अच्छी पकवानों की बात करें तो सभी के घर में गुजिया जरूर बनती है गुजिया होली के दिन का मुख्य पकवान हैं।
इसके अलावा सभी के घरो में विभिन्न प्रकार के पकवान बनते हैं।
होली मानाने का मुख्य उद्देश्य
प्रति वर्ष होली का त्यौहार मनाने से हम अपनी संस्कृति से जुड़े रहते हैं,
यह सभी त्यौहार हमें हमारी संस्कृति से जोड़े रखते हैं।
जिससे आने वाली पीढ़ियों को हमारी संस्कृति के बारे में सीख मिलती हैं।
होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई, असत्य पर सत्य की जित का प्रतिक हैं।
जब हम प्रतिवर्ष होली के त्यौहार को मानते हैं तब हम अपने प्राचीन संस्कृति को याद करते हैं।
जो हम भारतीयों की जन्मदायनी हैं। जो हमारी असली पहचान है।
क्योकि हमारी पहचान हमारी संस्कृति के बिना अधूरी है।
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